Sunday, 23 August 2015

क्या आप जानते है के राजा जनक ने सीताजी से शादी के लिये शिवधनुष कि प्रतीयोगीता कयो रख्खी ?




क्या आप जानते है के राजा जनक ने सीताजी से शादी के लिये शिवधनुष कि प्रतीयोगीता कयो रख्खी ?
मेरे प्रिय भाइ एवम बहेनो सिर्फ जय श्रीराम या हर हर महादेव या जय हनुमान कहेने से धर्म का प्रचार नही होता. हम क्या तब तक किसी को हमारे धर्म के बारे मे बतायेगे जब हमे खुद हमारे धर्म का पुरा ग्यान नही है. हमारे धर्मग्रंथ दुनिया मे सबसे बडे ओर महान है. पर टेक्नोलोजी के इस जमाने मे हम सिर्फ उतना ही जानते है जितना टि.वी. ओर सिरियल मे दिखाते है. मे ये नही कहेता के हमे पुरी जानकारी होनी चाहिये.. पर इतना तो पता होना चहिये के कोइ यदि 10 सवाल करे रामायण या महाभारत के बारे मे तोह कम से कम 5 सवाल के जवाब हमे आते होना चाहिये. बस यही सोच कर रामायण एवम महाभारत कि वो बाते जो कीतबो मे नही लिखि गयी वो आपके सामने रख रहा हु.



राजा जनक के पास महादेव का धनुष था. इस धनुष से महादेव ने त्रिपुराइ नामक राक्षस का वध किया था. फिर ये धनुष को राजा जनक के पुर्वज देवरथ को धरोहर के रूप मे दिया था. ये धनुष इतना भारी था के किसी से नही उठाया जाता था. ओर सीताजी बचपन से ही इस शिवधनुष की पुजा करती थी. ओर सीताजी इस धनुष को एक जगह से उठा के दुसरी जगह रख देती थी. इस लिये राजा जनक को यही ठिक लगा के जो सीताजीकी तरह ये शिवधनुष उठा सके वही सीताजी के लिये योग्य वर होगा.
इसलिये राजा जनक ने सीताजी के विवाह पे शिवधनुष की प्रतीयोगीता रखी थी.

Friday, 21 August 2015

क्या आप जानते है रावण कि आयु कितने वर्ष की थी ?



मेरे प्रिय भाइ एवम बहेनो सिर्फ जय श्रीराम या हर हर महादेव या जय हनुमान कहेने से धर्म का प्रचार नही होता. हम क्या तब तक किसी को हमारे धर्म के बारे मे बतायेगे जब हमे खुद हमारे धर्म का पुरा ग्यान नही है. हमारे धर्मग्रंथ दुनिया मे सबसे बडे ओर महान है. पर टेक्नोलोजी के इस जमाने मे हम सिर्फ उतना ही जानते है जितना टि.वी. ओर सिरियल मे दिखाते है. मे ये नही कहेता के हमे पुरी जानकारी होनी चाहिये.. पर इतना तो पता होना चहिये के कोइ यदि 10 सवाल करे रामायण या महाभारत के बारे मे तोह कम से कम 5 सवाल के जवाब हमे आते होना चाहिये. बस यही सोच कर रामायण एवम महाभारत कि वो बाते जो कीतबो मे नही लिखि गयी वो आपके सामने रख रहा हु.



लंका अधिपति रावण के बारे मे सभी जानते है. पर ये बहोत कम लोग जानते है के रावण की आयु कितने वर्ष की थी. रावण एक राक्षसी का पुत्र था तोह उसकी आयु भि बहोत थी. कहेते है रावण का  जीवनकाल बहोत लम्बा था. कयी हजार वर्ष तक तोह रावण सिर्फ तपस्या ही करता रहा. ओर भगवान शिव से बहोत सारे वरदान पाये. 
रावण कि आयु के बारे मे विस्तार से तोह किसी भी पुराण मे नही लिखा है. पर फिर भी कुछ किताबो मे रावण के साशन काल के बारे मे बताया गया है. रावण के समय मे वर्ष कि गिनती कुछ अलग हिसाब से होती थी. 
रावण ने कुल ७२ चोकडी साशन किया था. ४०० साल को एक चोकडी कहेते थे. तोह ऐसे कुल २८८०० वर्ष तक रावण ने लंका पर साशन किया था. रावण को राजनीती का श्रेष्ठ ग्याता कहा गया है.
      इस तरह रावण के साशन काल से उसकी आयु का अंदाजा लगाया गया है पर वास्तव मे रावण कि आयु का कहि कोइ जिक्र नहि किया गया

क्या आप जानते है एसे राक्षश के बारे मे जीन्हो ने भगवान विष्णु से वरदान मागने को कहा?



मेरे प्रिय भाइ एवम बहेनो सिर्फ जय श्रीराम या हर हर महादेव या जय हनुमान कहेने से धर्म का प्रचार नही होता. हम क्या तब तक किसी को हमारे धर्म के बारे मे बतायेगे जब हमे खुद हमारे धर्म का पुरा ग्यान नही है. हमारे धर्मग्रंथ दुनिया मे सबसे बडे ओर महान है. पर टेक्नोलोजी के इस जमाने मे हम सिर्फ उतना ही जानते है जितना टि.वी. ओर सिरियल मे दिखाते है. मे ये नही कहेता के हमे पुरी जानकारी होनी चाहिये.. पर इतना तो पता होना चहिये के कोइ यदि 10 सवाल करे रामायण या महाभारत के बारे मे तोह कम से कम 5 सवाल के जवाब हमे आते होना चाहिये. बस यही सोच कर रामायण एवम महाभारत कि वो बाते जो कीतबो मे नही लिखि गयी वो आपके सामने रख रहा हु.
मधु ओर कैतब नाम के दो राक्षश थे. जो बहोत बलवान थे!. इंद्र से जीत ने के बाद वो एक बार वे भगवान शिव से युध्ध करने जाता है तब शिवजी उस पे त्रिशुल चला देते है. मधु ओर कैतब को त्रिशुल से भी कुछ नही होता ओर वो भगवान शिव का मान रखते हुए विष्णुजी से युध्ध करने जाते है. विष्णुजी अपना सुद्र्श्न चक्र चला देते है पर वो भी विफल हो जाता है ओर फिर मधु ओर कैतब का विष्णुजी से भयंकर युध्ध होता है. 

बहोत दिनो तक युध्ध चलने के बाद मधु ओर कैतब युध्ध पुर्ण करने के लिये विष्णुजी से कहते है हम तुमसे प्रसन्न है. तुम हमसे वरदान मागो. ओर विष्णुजी ये अवसर जाने नही देते. ओर मधु ओर कैतब से इनके म्रुत्युका रह्स्य पुछ लेते है. जिसमे बताया जाता है के मधु ओर कैतब कि म्रुत्यु सिर्फ जांघ मे फसा के मारने से होगी ओर किसि तरह से नही मरेगे. तब विष्णुजी अपने शरीर को विशाल बना के मधु ओर कैतब को जांघ मे फसा के अपनी गदा से दोनो भाइ का वध कर देते है.
ओर ये भी कहा जाता है के मधु के मरने से उसके शरीर का मेदा पुरी प्रुथ्वी मे फैल गया है. जिस से इस प्रुथ्वी  को मेदनी के नाम से भी बुलाया जाता था.


क्या आप जानते है हनुमानजी का एक पुत्र था?



मेरे प्रिय भाइ एवम बहेनो सिर्फ जय श्रीराम या हर हर महादेव या जय हनुमान कहेने से धर्म का प्रचार नही होता. हम क्या तब तक किसी को हमारे धर्म के बारे मे बतायेगे जब हमे खुद हमारे धर्म का पुरा ग्यान नही है. हमारे धर्मग्रंथ दुनिया मे सबसे बडे ओर महान है. पर टेक्नोलोजी के इस जमाने मे हम सिर्फ उतना ही जानते है जितना टि.वी. ओर सिरियल मे दिखाते है. मे ये नही कहेता के हमे पुरी जानकारी होनी चाहिये.. पर इतना तो पता होना चहिये के कोइ यदि 10 सवाल करे रामायण या महाभारत के बारे मे तोह कम से कम 5 सवाल के जवाब हमे आते होना चाहिये. बस यही सोच कर रामायण एवम महाभारत कि वो बाते जो कीतबो मे नही लिखि गयी वो आपके सामने रख रहा हु.
रामायण मे हमने सुना है के हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी थे. लेकीन फिर भी बहोत कम लोग ये जानते है के हनुमानजी को एक पुत्र था. हनुमानजी जब लंका दहन करके अपनी पुंछ मे लगी आग बुजाने के लीये पानी मे जाते है तब एक मछली हनुमानजी के शरीर से बहेते पसीने की एक बुंद पी लेती है. जिस से मछली एक बचचे को जन्म देती है .

 जिसका नाम मकरधव्ज रखती है. ओर ये हनुमानजी की तरह ही वानर होता है. हनुमानजी के पसीने से पेदा होने के कारण शक्ति भी हनुमानजी  जितनी अपार होती है. ओर पानी मे मछली से पेदा होने के कारण ये पानी मे भी सरलता से रहेता था. जब हनुमानजी अहिरावण ओर महिरावण का वध करते है तब मकरधव्ज को पाताललोक का सेनापती बना देते है.