Friday, 21 August 2015

क्या आप जानते है एसे राक्षश के बारे मे जीन्हो ने भगवान विष्णु से वरदान मागने को कहा?



मेरे प्रिय भाइ एवम बहेनो सिर्फ जय श्रीराम या हर हर महादेव या जय हनुमान कहेने से धर्म का प्रचार नही होता. हम क्या तब तक किसी को हमारे धर्म के बारे मे बतायेगे जब हमे खुद हमारे धर्म का पुरा ग्यान नही है. हमारे धर्मग्रंथ दुनिया मे सबसे बडे ओर महान है. पर टेक्नोलोजी के इस जमाने मे हम सिर्फ उतना ही जानते है जितना टि.वी. ओर सिरियल मे दिखाते है. मे ये नही कहेता के हमे पुरी जानकारी होनी चाहिये.. पर इतना तो पता होना चहिये के कोइ यदि 10 सवाल करे रामायण या महाभारत के बारे मे तोह कम से कम 5 सवाल के जवाब हमे आते होना चाहिये. बस यही सोच कर रामायण एवम महाभारत कि वो बाते जो कीतबो मे नही लिखि गयी वो आपके सामने रख रहा हु.
मधु ओर कैतब नाम के दो राक्षश थे. जो बहोत बलवान थे!. इंद्र से जीत ने के बाद वो एक बार वे भगवान शिव से युध्ध करने जाता है तब शिवजी उस पे त्रिशुल चला देते है. मधु ओर कैतब को त्रिशुल से भी कुछ नही होता ओर वो भगवान शिव का मान रखते हुए विष्णुजी से युध्ध करने जाते है. विष्णुजी अपना सुद्र्श्न चक्र चला देते है पर वो भी विफल हो जाता है ओर फिर मधु ओर कैतब का विष्णुजी से भयंकर युध्ध होता है. 

बहोत दिनो तक युध्ध चलने के बाद मधु ओर कैतब युध्ध पुर्ण करने के लिये विष्णुजी से कहते है हम तुमसे प्रसन्न है. तुम हमसे वरदान मागो. ओर विष्णुजी ये अवसर जाने नही देते. ओर मधु ओर कैतब से इनके म्रुत्युका रह्स्य पुछ लेते है. जिसमे बताया जाता है के मधु ओर कैतब कि म्रुत्यु सिर्फ जांघ मे फसा के मारने से होगी ओर किसि तरह से नही मरेगे. तब विष्णुजी अपने शरीर को विशाल बना के मधु ओर कैतब को जांघ मे फसा के अपनी गदा से दोनो भाइ का वध कर देते है.
ओर ये भी कहा जाता है के मधु के मरने से उसके शरीर का मेदा पुरी प्रुथ्वी मे फैल गया है. जिस से इस प्रुथ्वी  को मेदनी के नाम से भी बुलाया जाता था.


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