क्या आप जानते है के राजा जनक ने सीताजी से शादी के लिये शिवधनुष कि
प्रतीयोगीता कयो रख्खी ?
मेरे प्रिय भाइ
एवम बहेनो सिर्फ जय श्रीराम या हर हर महादेव या जय हनुमान कहेने से धर्म का प्रचार
नही होता. हम क्या तब तक किसी को हमारे धर्म के बारे मे बतायेगे जब हमे खुद हमारे
धर्म का पुरा ग्यान नही है. हमारे धर्मग्रंथ दुनिया मे सबसे बडे ओर महान है. पर
टेक्नोलोजी के इस जमाने मे हम सिर्फ उतना ही जानते है जितना टि.वी. ओर सिरियल मे
दिखाते है. मे ये नही कहेता के हमे पुरी जानकारी होनी चाहिये.. पर इतना तो पता
होना चहिये के कोइ यदि 10 सवाल करे रामायण या महाभारत के बारे मे तोह कम से कम 5
सवाल के जवाब हमे आते होना चाहिये. बस यही सोच कर रामायण एवम महाभारत कि वो बाते
जो कीतबो मे नही लिखि गयी वो आपके सामने रख रहा हु.
राजा जनक के पास महादेव का धनुष था. इस धनुष से
महादेव ने त्रिपुराइ नामक राक्षस का वध किया था. फिर ये धनुष को राजा जनक के
पुर्वज देवरथ को धरोहर के रूप मे दिया था. ये धनुष इतना भारी था के किसी से नही उठाया जाता
था. ओर सीताजी बचपन से ही इस शिवधनुष की पुजा करती थी. ओर सीताजी इस धनुष को एक
जगह से उठा के दुसरी जगह रख देती थी. इस लिये राजा जनक को यही ठिक लगा के जो
सीताजीकी तरह ये शिवधनुष उठा सके वही सीताजी के लिये योग्य वर होगा.
इसलिये राजा जनक ने सीताजी के विवाह पे शिवधनुष
की प्रतीयोगीता रखी थी.
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