Wednesday, 12 August 2015

क्या आप जानते है के सीताजी मिथिला कि धरती मे कैसे आयी ?



क्या आप जानते है के सीताजी मिथिला कि धरती मे कैसे आयी ?

मेरे प्रिय भाइ एवम बहेनो सिर्फ जय श्रीराम या हर हर महादेव या जय हनुमान कहेने से धर्म का प्रचार नही होता. हम क्या तब तक किसी को हमारे धर्म के बारे मे बतायेगे जब हमे खुद हमारे धर्म का पुरा ग्यान नही है. हमारे धर्मग्रंथ दुनिया मे सबसे बडे ओर महान है. पर टेक्नोलोजी के इस जमाने मे हम सिर्फ उतना ही जानते है जितना टि.वी. ओर सिरियल मे दिखाते है. मे ये नही कहेता के हमे पुरी जानकारी होनी चाहिये.. पर इतना तो पता होना चहिये के कोइ यदि 10 सवाल करे रामायण या महाभारत के बारे मे तोह कम से कम 5 सवाल के जवाब हमे आते होना चाहिये. बस यही सोच कर रामायण एवम महाभारत कि वो बाते जो कीतबो मे नही लिखि गयी वो आपके सामने रख रहा हु.


सीताजी राजा जनक की पुत्री नही थी ये सभी जानते है, ओर वो धरती से निकली थी ये भी सभी जगह बताया गया है. पर वो धरती मे कैसे आयी ये किसीने नही बताया. रावण ब्राह्मण का पुत्र था पर वो पर राक्षसपुत्र होने से वो राक्षस भी था. रावण जब भी लोगो पर अत्याचार करता ओर  श्रीहरी के भक्तो के खुन को एक कुंड मे भरता. एसा करते रहेने से लंका मे सुखा पडने लगा. जमीन मे जो रक्तकुंड बनवाया था वो भरने को था उस से लंका मे अकाल की स्थिति होने लगी,धरती बंजर हो गयी.
 रावण खुद बडा ग्यानी था. उसे समज आ गया के ये सब उस रक्तकुंड के भरने से हो रहा है. रावण ने वो रक्तकुंड वहा से निकाल के मिथिला नगरी मे गाढ दिया. जीस से मिथिला मे अकाल ओर सुखा पडने लगा तब मिथिला के राजगुरु सतानंद ने बताया के राजा खुद अपने हाथो से मिथिला कि धरती मे हल चलायेगा तभी ये बंजर ओर सुखी जमीन ओर ये अकाल जायेग. ओर तभी राजा के हल चलाने से जो वो रक्तकुंड था उसमे हल फस जाता है. जब राजा जनक वहा खुदायी करते है तो वहा से माता सिता निकलती है. क्युकी वो रक्तकुंड से माता सिता बन जाती है ! वास्तव मे रावण खुद अपनी म्रुत्यु का बीज मिथिला मे बोता है. 

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